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APL को BPL में बदलने पर दुकानदार पर तो करा दिया एफआईआर.. आधी रात में राशन कार्ड बनाने वाले मामले में जांच करने से भी डर रहे अधिकारी.. क्या खाद्य अधिकारी, कर्मचारी को बचाने के लिए कर रहे पद का दुरुपयोग..

बिलासपुर- कानून की नजर में सभी को एक बराबर माना जाता है, और जब कानून विरूद्ध कार्य होता है तो उसके लिए कार्रवाई की भी व्यवस्था होती है,  लेकिन जब जिम्मेदार ही कानूनी कार्रवाई से अपने चहेतों को बचाने में लग जाए, तब कैसे उम्मीद लगाए जाए कि, पद में बैठा जिम्मेदार अधिकारी जनता के साथ न्याय करेगा.. बिलासपुर का खाद्य विभाग में ऐसी ही स्थिति नजर आ रही है, जहां खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने चहेते कर्मचारी को बचाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाने से नहीं कतरा रहे हैं, दरअसल पुरा मामला आधी रात में बने राशन कार्डों का है जहां मामले में करवाई तो दूर की बात, अधिकारी द्वारा जांच तक नहीं कराई जा रही है और पद का फायदा उठाकर जनता आवाज उठाने वालों के ही खिलाफ नोटिस देने का काम किया जा रहा है..
जुलाई माह में खाद्य विभाग द्वारा खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया की आईडी से आधी रात को कई राशन कार्ड बन गए और तड़के सुबह उन्हें अपलोड भी कर दिया गया, जिसके बाद समाचार पत्रों और अलग-अलग जगह में प्रकाशित हुए इस खबर को लेकर काफी हाय तौबा मची, लेकिन अपनी ही आईडी प्रदान कर आधी रात में कार्ड बनाने वाले मामले में जांच करना तो दूर की बात, बिलासपुर के खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया मामले की जांच तक करना जरूरी नहीं समझ रहे हैं और जब जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकार खबर लगा रहे हैं तो उन्हें नोटिस भेजने का काम भी खाद्य नियंत्रक साहब कर रहे है..
कुछ माह पूर्व हितग्राहियों की बिना जानकारी के एपीएल राशन कार्डों को बीपीएल राशन कार्ड में तब्दील करने का कारनामा किया गया था, जिसके बाद मामला उजागर हुआ और जांच की प्रक्रिया शुरू हुई थी इस दौरान जांच करने के बाद पूरा जिम्मेदार तालापारा क्षेत्र में दुकान संचालित करने वाले दुकानदार के ऊपर डाल दी गई, लेकिन मजे की बात यह है कि, कार्ड संबंधित पूरा कार्य या तो खाद्य विभाग द्वारा किया जाता है या फिर खाद्य अधिकारी द्वारा बांटे गए जोन और जनपद कार्यालय में आईडी से किया जाता है, पूरे मामले में हितग्राहियों द्वारा राशन कार्ड तब्दील करने के लिए आवेदन भी नहीं दिया गया था लेकिन उसके बाद भी राशन कार्ड बना दिए गए, लेकिन इस पूरा मामले में ना तो जांच को ठीक तरीके से किया गया और ना ही मामले की तह तक जाने की कोशिश की गई, बल्कि राशन कार्ड रखकर चावल आबंटित करने वाले दुकानदार को ही बली का बकरा बनाकर उसके ऊपर मामला दर्ज कर दिया गया..
दूसरी ओरर जुलाई माह में खाद्य विभाग के राशन कार्ड शाखा की जिम्मेदारी संभाल रहे रूपेंद्र बंजारे आधी रात को अंधाधुंध कार्ड बनाकर सुबह तक अपलोड करते रहे और कई दिनों तक तो नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी चलती रही, जैसे ही या मामला उजागर हुआ तो विभागीय अधिकारियों के हाथों फूलने लगे और अधिकारी अगस्त के शुरुआत में छुट्टी पर निकल गए, हु इस दौरान हमने खाद्य नियंत्रक अनुराग भदोरिया से संपर्क साधा और मामले की जानकारी मांगी, लेकिन उन्होंने बहाना बनाकर छुट्टी से आने के बाद बात करते हैं कहकर मामले को दबाने की कोशिश की..इसके बाद इस मामले की जानकारी बिलासपुर कलेक्टर अविनाश शरण से भी लेने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कहा कि, इस मामले की जानकारी खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया को है और वही जवाब देंगे.. बार-बार संपर्क साधने के बाद भी अनुराग भदौरिया ने जानकारी देना जरूरी नहीं समझा.. इसके बाद इस मामले को उजागर करते हुए खबर लगाई गई लेकिन खबर देखते ही विभागीय अधिकारी तिलमिला उठे और अपने चहेते को संरक्षण देने के लिए मामले को उजागर करने वाले पत्रकार के खिलाफ ही नोटिस भेज दिया.. 
जिम्मेदार अधिकारी के लिए किसी भी विभाग में मामले का उजागर होना और उसमें कार्रवाई होना, विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अति आवश्यक होता है लेकिन बिलासपुर के खाद्य विभाग में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति बनी हुई है.. जहां सुबह से शाम तक राशन कार्ड से संबंधित अलग-अलग काम कराने वालों की चप्पल घिस जा रही है लेकिन उन्हें जोन और जनपद का रास्ता दिखा दिया जा रहा है, लेकिन ऐसा कौन से लोग थे जिनके लिए आधी रात में राशन कार्ड बनाया गया और तड़के सुबह उन्हें अपलोड किया गया और सुबह से लेकर रात दिन नाम जोड़े गए, इसकी जानकारी देने में अधिकारी कतरा रहे हैं और मीडिया की आवाज को बंद कर उसे दबाने की कोशिश भी कर रहे हैं..

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