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तो क्या जानबूझकर संरक्षण दे रहे दे रहे खाद्य आधिकारी.. दुकानदार पर तो एफआईआर करा दिया, विभाग के कर्मचारी को संरक्षण क्यों..

बिलासपुर- जिले के खाद्य विभाग में जमकर भर्राशाही की जा रही है, और आधिकारी को जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई न होना उनके मौन समर्थन की ओर इशारा कर रहा है.. छोटे छोटे काम के लिए जनपद और जोन कार्यालय का रास्ता दिखाने वाले खाद्य विभाग के राशन कार्ड शाखा के प्रभारी, बड़ी शिद्दत के साथ आधी रात जागकर प्राइवेट कंप्यूटर से जिले के प्रभारी खाद्य नियंत्रक की आईडी से राशनकार्ड बनाने का काम कर रहे हैं, इतना ही नहीं कई दिनों तक तड़के सुबह बीपीएल राशन कार्ड में नाम जोड़ने का काम उनके द्वारा किया जा रहा है, लेकिन खाद्य नियंत्रक चैन की नींद सो रहे हैं, 
लगातार कई दिनों आधी रात में कार्ड निर्माण के साथ साथ राशन कार्ड शाखा प्रभारी बंजारे द्वारा राशन कार्डो में नए नाम जोड़ने का काम किया है, अंधेर नगरी चौपट राजा के तर्ज पर चल रहे खाद्य विभाग में इस तरह का कार्य पहली बार नहीं किया गया है, इससे पहले भी एपीएल राशन कार्डो में छेड़ छाड़ कर बीपीएल राशन कार्ड बनाने का काम भी विभाग द्वारा किया गया था, जिसके बाद दुकानदार को बलि का बकरा बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.. विभागीय अधिकारियों की माने तो सर्वर में दिक्कत की वज़ह से राशन कार्ड का निर्माण आधी रात को किया गया लेकिन सवाल उठना लाजमी है कि, जब दिन में सर्वर का बहाना बनाया जा रहा है तो आधी रात सर्वर कहां से आ जाता है.. इतना ही नहीं राशन कार्ड के काम से खाद्य विभाग पहुंचने वाले लोगों को अलग अलग कारण बताकर हफ्तों चक्कर लगवाने वाले कर्मचारी अचानक चुनिंदा लोगों के लिए अपनी नींद हराम कर आधी रात और छुट्टी के दिनों में कैसे शिद्दत से राशन कार्ड बनाने का काम कर रहे हैं..
कुछ दिनों पहले भी इस मामले को लेकर जिले के खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया को इस मामले की जानकारी देकर उनका पक्ष पूछा गया था लेकिन उन्होंने छुट्टी में होने की बात कहकर बाद में जानकारी देने की बात की थी लेकिन छुट्टी से आने के बाद मामले में गंभीरता दिखाकर कार्रवाई के बजाएं मामले को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया.. खाता विभाग में लगातार गड़बड़ी के मामले सामने आते रहते हैं और इन पर कारवाइयां भी की जाती है लेकिन जब गड़बड़ियां घर के अंदर यानी विभाग में होती है तो विभागीय अधिकारी द्वारा इन पर पर्दा डाल दिया जाता है अब सवाल उठता है कि, आखिर कर्मचारियों को शह देने के पीछे कौन सा कारण छुपा हुआ है, विभागीय सूत्रों की माने तो इस मामले की शिकायत मंत्रालय तक पहुंच चुकी है वहीं देखना होगा कि, अब इसमें किस तरह की कार्रवाई की जाएगी..

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