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पार्टी सुप्रीमो भिड़ देखकर जरूर गदगद होंगे, खुद को तीसरे मोर्चे के रूप में तैयार कर रही आप.. दिया तले अंधेरा, निजात अभियान थानों पर भी हो लागू.. संदीप पाठक अगर मंच से बाहर झांक लेते तो, यह बात नहीं कहते.. सभा में भीड़ जुटाने के मामले में कौन रहा किससे आगे, किसका दावेदार दमदार.. एक दावेदार ऐसा भी, नौसिखिए के चक्कर में पार्टी की शाख दांव पर, बैनर पोस्टर से भी गायब हुए विज्ञापन का पैसा खाऊं नेता..


पार्टी सुप्रीमो भिड़ देखकर जरूर गदगद होंगे.. खुद को तीसरे मोर्चे के रूप में तैयार कर रही आप..
बीते रविवार 2 जुलाई को आम आदमी पार्टी द्वारा बिलासपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर महारैली का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेशभर से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बसों में भरकर बिलासपुर पहुंचे, वहीं आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को देखकर नए जोश के साथ घर वापस गए.. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी जम कर तैयारी कर रही है वहीं दिल्ली और पंजाब के विकास का पिटारा और रेवड़ियां लेकर दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री बिलासपुर पहुंचे, जहां उम्मीद से दुगनी भीड़ देखकर आम आदमी पार्टी के सारे नेता गदगद नजर आए..
मंच से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हूंकार भरते हुए आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल छत्तीसगढ़ की जनता को चुनाव के बाद रेवड़ियों का सपना दिखा गए, वहीं पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पूरे जोश के साथ मंच पर भाषण देने पहुंचे, प्रदेश सरकार को घेरते हुए भगवंत मान ने जो समा बांधा उसे अरविंद केजरीवाल ने जोरदार तरीके से खत्म किया.. जाते जाते पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल तीसरे मोर्चे के रूप में खुद को स्थापित होता देख गए और आने वाले चुनाव में विरोधी पार्टियों को जोरदार टक्कर देने की बात भी कह गए..
दिया तले अंधेरा, निजात अभियान थानों पर भी हो लागू
बिलासपुर पुलिस द्वारा नशे के बढ़ते जाल को रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है और बिलासपुर पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह द्वारा चलाया गया यह अभियान पूरी तरह सफल होता भी नजर आ रहा है लेकिन बीच-बीच में ऐसी भी तस्वीरें सामने आती है जो निजात पर सवालिया निशान खड़ा करती है, नशे के खिलाफ अभियान और अपराधियों की धरपकड़ में पुलिस शत-प्रतिशत सफल नजर आती है लेकिन जब थाने परिसरों में नजर जाती है तो निजात अभियान पर पलीता लगता दिखाई पड़ता है.. सिरगिट्टी थाना परिसर में ऐसे फोटो और वीडियो सामने आए हैं, जिसे देखकर लगता है कि निजात अभियान की सबसे ज्यादा जरूरत अब शायद सिरगिट्टी थाना को है,
थाना परिसर में पड़े दारू की बोतलें चीख चीखकर कहती हैं यहां तो रोज मयखाना सजता होगा.. थाना परिसर में फैली गंदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई बाहर का व्यक्ति थाने परिसर में आकर शराब का सेवन तो नहीं करता है, तो क्या थाने का स्टाफ है, थाने परिसर को सुरक्षित जगह मानकर रोजाना निजात अभियान पर पलीता लगाते हैं.. 

संदीप पाठक अगर मंच से बाहर झांक लेते तो, यह बात नहीं कहते..
आम आदमी पार्टी अपने चुनाव की तैयारियों को लेकर लगातार जमीनी स्तर पर कार्य करती दिखाई दे रही है लेकिन पार्टी में एकात्मवाद की नीति खोलकर दिखाई दे रही है.. भले ही बिलासपुर में मंच से एकता का संदेश आम आदमी पार्टी का शेष नेतृत्व देता दिखाई दिया हो, लेकिन जिस तरह सिर्फ पोस्टर बाजी पूरे शहर भर में हुई वह चर्चा का विषय जरूर बना रहा, एक गुट संगठन को साथ में लेकर बैनर पोस्टर लगाता रहा तो दूसरे गुट के द्वारा मुंह मियां मिट्ठू का काम किया गया.. 
मंच के दौरान राज्यसभा सांसद और बिलासपुर संभाग से ताल्लुक रखने वाले संदीप पाठक छत्तीसगढ़ी में जोरदार भाषण दे रहे थे,लेकिन उनके एक वाक्य ने वहां बैठे लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया और कार्यक्रम से निकलने के बाद मंच के बाहर लगे बैनर पोस्टर देखकर सबके मन में एक ही सवाल उठाया था कि, अगर संदीप पाठक मंच के बाहर झांक लेते तो शायद यह बात नहीं कहते, दरअसल संदीप पाठक में भूपेश सरकार पर जमकर हमला करते हुए कहा था कि, सबको पीछे छोड़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिर्फ अपना चेहरा चमका रहे हैं वहीं आम आदमी पार्टी के कार्यक्रम के मंच के बाहर भी संदीप पाठक के वाक्य के अनुरूप स्थिति देखने को मिली..
उनकी पार्टी में पार्टी सुप्रीमो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की तस्वीरें, पार्टी की एकात्म नीति में चलने वाली नेता के सामने बौनी दिखाई पड़ रही थी, उन्हें पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों तक की तस्वीरें लगाना उचित नहीं समझा था, प्रदेश प्रभारी तो किसी कार्यकर्ता की तरह पूरे बैनर से गायब रहे इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में पार्टी का बड़ा चेहरा संदीप पाठक भी एक नेता के सामने बैनर पोस्टरो में कहीं ठहरे नजर नहीं आ रहे थे, पोस्टर बैनर के जरिए जन नेता बनने की कवायद बिलासपुर में लंबे समय से चली आ रही है ऐसे में पार्टी को भी समझना जरूरी है कि, संगठन को पीछे छोड़ खुद को ब्रांड घोषित करने के चक्कर में पार्टी का बड़ा नुकसान आगामी विधानसभा चुनाव में ना हो जाए, इतना ही नहीं पार्टी को यह भी सोचना पड़ेगा कि क्या एक व्यक्ति के चक्कर में पूरी पार्टी को खाई में धकेलने का जोखिम आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में उठाने के लिए तैयार है..
सभा में भीड़ जुटाने के मामले में कौन रहा किससे आगे, किसका दावेदार दमदार
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ ही महीनों का वक्त बाकी है ऐसे में सारी राजनीतिक पार्टियां अब अपनी पूरी ताकत के साथ जनता को अपनी ओर खींचने और भिड़ को वोट में तब्दील करने की जद्दोजहद में जुट गई है.. बीते कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर राजनीति का नया केंद्र बनकर उभरा है, एक ही दिन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा बूथ चलो अभियान के तहत बिलासपुर पहुंचे, तो वही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी बीच शहर में कार्यक्रम करते नजर आए, इसके 2 दिन बाद ही आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर बिलासपुर के साइंस कॉलेज में चुनावी बिगुल फूंकते दिखे..
चुनावी शंखनाद करने वाले ये नेता भीड़ को देखकर जरूर गदगद होते रहे, लेकिन शहरवासियों के बीच एक चर्चा पिछले कुछ दिनों में सबसे गर्म रही और वह थी कि, किसकी सभा में भीड़ ज्यादा है.. बताने वालों की माने तो भीड़ एकत्रित करने के मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से अरविंद केजरीवाल आगे निकलते दिखाई दिए.. भले ही दोनों पार्टी के जाने पहचाने चेहरे दावेदारी करने और खुद को चमकाने में लगे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर कांग्रेस अपनी रणनीति को लेकर लोगों तक पहुंच रही है 
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि, 20 साल तक बिलासपुर के विधायक और 15 साल तक मंत्री की जिम्मेदारी निभाने वाले गद्दावर नेता बाजी मारते हैं या फिर अपने अलग अंदाज में जन लोकप्रिय हो चुके कांग्रेस के वर्तमान विधायक, इसके अलावा आम आदमी पार्टी में बैनर पोस्टर के सहारे आगे बढ़ते और संगठन को मजबूत करने वाले लोगों के बीच चल रही जद्दोजहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि, विधानसभा चुनाव में जनता का रुझान किस पर अधिक होता है और अगले 5 साल में बिलासपुर की विकास की धारा में कौन सा नेता गोते लगाते दिखाई पड़ता है..
एक दावेदार ऐसा भी, नौसिखिए के चक्कर में पार्टी की शाख दांव पर.. बैनर पोस्टर से भी गायब हुए विज्ञापन का पैसा खाऊं नेता..
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का फाइनल कुछ महीनों बाद होना है ऐसे में सभी टीम के खिलाड़ी फ्रंट फुट पर आकर खेल रहे हैं और अपने खेल से जनता को रिझाने का काम कर रहे हैं लेकिन प्रदेश में एक ऐसी भी पार्टी है जो कभी अच्छा वोट परसेंट शेयर करती थी लेकिन अब  नए नवेले नेताओं के भरोसे साख को बचाने की जद्दोजहद में लगी नजर आ रही है, दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एक जमाने में छत्तीसगढ़ में अपना बड़ा वर्चस्व रखती थी.. बिलासपुर, रायपुर समेत पूरे प्रदेश में चुनाव के दौरान अच्छा वोट परसेंटेज शेयर करने में भी कामयाब होती थी, लेकिन समय के साथ पुराने नेताओं से किनारा करने के बाद पार्टी अब खुद ही जूझती नजर आ रही है..
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने के बाद, वोट परसेंटेज बचाने की जद्दोजहद में पार्टी के छत्तीसगढ़ नेतृत्व ने ऐसे लोगों को जिम्मेदारी सौंप दिया, जो पहले तो खुद को विधानसभा प्रत्याशी घोषित कर देते हैं और फिर धरातल पर काम करने के बजाए सोशल मीडिया में एक्टिव रहना ज्यादा सही समझते हैं.. दरअसल कोई भी पार्टी जब चुनावी तैयारी करती है तो क्षेत्र और प्रदेश की समझ रखने वाले नेताओं को प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी देती है, लेकिन एनसीपी के साथ ही मामला उलट नजर आ रहा है.. नौसिखिया को जिम्मेदारी देने के साथ-साथ सीनियर को दरकिनार करना शायद आने वाले चुनाव में एनसीपी के लिए मुश्किल पैदा करेगा.. क्योंकि नेता के द्वारा अभी तक जो भी कार्यक्रम चलाया गया है वह अधर में खत्म हो गया है, नौसीखिए नेता ने संकल्प निरोगी छत्तीसगढ़ अभियान शुरू किया था लेकिन जल्द ही अपनी स्थिति को भांपकर पार्टी कार्यक्रम से किनारा कर लिया और पार्टी की जमकर किरकिरी हुई.. खुद को विधायक प्रत्याशी घोषित करने वाले नेता के लिए तब मुश्किलें और बढ़ गई, जब बिना सूची जारी हुए उन्होंने खुद को बैनर पोस्टरों में विधायक प्रत्याशी तो घोषित कर दिया, लेकिन पार्टी से जुड़ने के बाद आज तक विधानसभा की गलियों में घूमते नजर नहीं आए, इतना ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष की जानकारी से परे खुद को प्रत्याशी घोषित करना नेता को ऐसा भारी पड़ा कि कुछ दिनों बाद उन्होंने बैनर पोस्टर में खुद को प्रत्याशी लिखना तो बंद ही कर दिया और शहर के बैनर पोस्टरों से भी धीरे-धीरे गायब हो गए..
 कॉरपोरेट ऑफिस से पार्टी की गतिविधियों का संचालन करने वाले नौसिखिया नेता शायद पूरी तरह नेतागिरी के गुण भी नहीं सीख पाए थे,  इसलिए तो पार्टी में लाने और उपाध्यक्ष बनाने वाले युवक ही उनके खिलाफ खड़े हो गए थे, और सोशल मीडिया में उनकी जमकर बुराई कर दी थी.. पोस्टर में बिलासपुर के लिए बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता आज तक गलियों की खाक छानने तक नहीं निकले है, जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरे तक नहीं है ऐसे में उनके मुंगेरीलाल वाले वादे हसीन सपने की तरह हसीन ही ना रह जाए.. इतना ही नहीं ये नेता जी विज्ञापन का पैसा खाने के लिए पार्टी समेत खुद की किरकिरी भी करा चुके हैं..
✍️✍️रविंद्र विश्वकर्मा✍️✍️

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