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खाद्य विभाग की भ्रष्ट्राचार की मलाई में किसका कितना हिस्सा.. खाद्य आधिकारी ने बना दिया बिलासपुर को लाभखाना.. पैसे दो राशन कार्ड बनावाओ, नाम जोड़वाओ, नहीं तो जनपद और जोन के चक्कर लगाओ.. बिलासपुर कलेक्टर को जानकारी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं..
बिलासपुर– छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए सस्ते खाद्यान्न की व्यवस्था कराई गई है, लेकिन जिनपर गरीबों के के अधिकार के संरक्षण की जिम्मेदारी है वही अपने पद का दुरुपयोग करके उनके अधिकार को अपने लाभ में परिवर्तित करने से बाज नहीं आ रहे हैं दरअसल हम न्यायधानी बिलासपुर के खाद्य विभाग में फैले भ्रष्ट्राचार को लेकर बात कर रहे हैं, जहां अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति निरंतर जारी है, लगातार भ्रष्टाचार के मामले के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होना अब बिलासपुर खाद्य विभाग की आदत हो गई है..
दरअसल बिलासपुर के खाद्य विभाग में इन दिनों मनमर्जी के साथ भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है इतना ही नहीं मामला उजागर होने के बाद भी बिलासपुर खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने विभाग के राशन कार्ड शाखा प्रभारी रूपेंद्र बंजारे को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे रखी है, मामला सामने आने के बाद भी करवाई तो दूर की बात जवाब देने में भी बिलासपुर खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया गैर जिम्मेदार हो गए हैं, दूसरी और मुंगेली से विवादित ट्रांसफर पर बिलासपुर पहुंचे रूपेंद्र बंजारे आते ही अपना खेल दिखाने लग गए हैं आधी रात में पैसे लेकर राशन कार्डों का निर्माण और राशन कार्ड में नाम जोड़ना का काम धरने से विभाग में रेट जा रहा है, वहीं हर चीज का एक फिक्स कर दिया गया है.. और मायाजाल से आने वाली मलाई का हिस्सा धडल्ले से चाटने में लगे हुए हैं..
बिलासपुर के खाद्य विभाग में गलत तरीके से राशन आवंटन, कार्ड निर्माण और बिना कार्डधारी की जानकारी के एपीएल राशन कार्ड को बीपीएल राशन कार्ड में बदलने का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है, इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा कोइ ठोस कार्रवाई न होने की वजह से विभागीय अधिकारी इस मामले में मास्टर हो चुके है, खाद्य नियंत्रक की आईडी को राशन कार्ड प्रभारी ओटीपी लेकर आधी रात धडल्ले से उपयोग कर रहा है ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी आधी रात कार्ड निर्माण और खाद्यान्न आबंटन का मामला सामने आ चुका है लेकिन हर बार खाद्य नियंत्रक ख़ुद को बेदाग और कर्मचारियों को खास बनाकर मामले से पल्ला झाड़ लेते है..
लगातार कई दिनों आधी रात में कार्ड निर्माण के साथ साथ राशन कार्ड शाखा प्रभारी बंजारे द्वारा राशन कार्डो में नए नाम जोड़ने का काम किया है, अंधेर नगरी चौपट राजा के तर्ज पर चल रहे खाद्य विभाग में इस तरह का कार्य पहली बार नहीं किया गया है, इससे पहले भी एपीएल राशन कार्डो में छेड़ छाड़ कर बीपीएल राशन कार्ड बनाने का काम भी विभाग द्वारा किया गया था, जिसके बाद दुकानदार को बलि का बकरा बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.. विभागीय अधिकारियों की माने तो सर्वर में दिक्कत की वज़ह से राशन कार्ड का निर्माण आधी रात को किया गया लेकिन सवाल उठना लाजमी है कि, जब दिन में सर्वर का बहाना बनाया जा रहा है तो आधी रात सर्वर कहां से आ जाता है.. इतना ही नहीं राशन कार्ड के काम से खाद्य विभाग पहुंचने वाले लोगों को अलग अलग कारण बताकर हफ्तों चक्कर लगवाने वाले कर्मचारी अचानक चुनिंदा लोगों के लिए अपनी नींद हराम कर आधी रात और छुट्टी के दिनों में कैसे शिद्दत से राशन कार्ड बनाने का काम कर रहे हैं,
हालांकि पूरे मामले की जानकारी बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण को भी है लेकिन अब तक उनकी तरफ से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है इसके बाद सवाल उठता है कि आखिर राशन कार्ड के इस कल खेल की जानकारी होने के बावजूद भी कलेक्टर को एक ठोस कार्रवाई खाद्य अधिकारी और राशन कार्ड शाखा प्रभारी पर क्यों नहीं कर रहे हैं.. क्योंकि तमाम तरह की शिकायतें खाद्य विभाग को लेकर पहले भी की जा चुकी हैं इतना ही नहीं पैसे लेकर नाम जोड़ने और राशन कार्ड बनाने की शिकायतें आईडी जनदर्शन के दौरान मिलती है लेकिन भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं, बाबू और अधिकारी पर कोई कार्रवाई न होना समस्या पड़े हैं ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि, मलाई का चटावन आखिर कहां तक पहुंच रहा है..