स्वतंत्र अवाज विशेष

खाद्य नियंत्रक का आशीर्वाद, निरीक्षक का संरक्षण? अफरा तफरी करने वालों पर विभाग की विशेष कृपा.. शासन की योजना की बजा रहे बैंड.. खाद्य विभाग के अधिकारी लगा रहे सुशासन पर ग्रहण..

बिलासपुर– इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सुशासन त्यौहार मनाया जा रहा है, इस दौरान आम जनता को योजनाओं का लाभ दिलाने और उसे जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाने के लिए समाधान शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है, लेकिन जिले के खाद्य विभाग के अधिकारी ही सुशासन पर ग्रहण लगाने का काम भी करते नजर आ रहे हैं.. दरअसल बिलासपुर खाद्य विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन के नाम पर जमकर मनमानी की गई है, बड़े स्तर पर दुकानदारों ने शासन की महत्वाकांक्षी योजना पर कालिख पोतकर पैसे कमाने का जरिया तैयार किया है.. इतना ही नहीं महीने भर बीत जाने के बाद भी भौतिक सत्यापन की जानकारी देने से अधिकारी कतरा रहे है.. इसके अलावा शासकीय उचित मूल्य दुकान का संचालन करने वाले दुकानदारों को खुली छूट दे दी गई है..
दुकानों में खाद्यान्न सामग्री के अंतर को कम करने के लिए दुकानदारों द्वारा राशन दुकान के बजाए नगदी दुकान चलाया जा रहा है, शासकीय उचित मूल्य दुकान में लोग राशनकार्ड लेकर तो पहुंच रहे लेकिन बिना राशन नगदी लेकर लौट रहे है, इतना ही नहीं राशन मांगने वालों पर नगदी लेने का दबाव दुकानदारों बनाया जा रहा है.. इसमें विभागीय अधिकारियों का भी जमकर समर्थन प्राप्त हो रहा है.. क्योंकि मामले की जानकारी होने के बाद भी नियंत्रक और निरीक्षक के हाथ रसूखदार के खिलाफ कार्रवाई करने में कांप रहे है.. इतना ही नहीं राशन न बांटने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई न करने के कसम शायद खाद्य निरीक्षक ने ले ली है इस का कारण है कि, जिले में जिम्मेदारी के नाम पर आधे से अधिक दुकानों को एक निरीक्षक के भरोसे छोड़ दिया गया है और कई निरीक्षकों को टेबल पर बैठा दिया गया है..
हालही में स्वतंत्र आवाज़ द्वारा शहर के गोंडपारा इलाके के दुकान की खबर प्रकाशित की थी जहां दुकानदार द्वारा राशन के बजाएं हितग्राहियों को नगदी पकड़ाकर वापस भेजा जा रहा था, मामले का वीडियो भी मीडिया में जमकर वायरल हो रहा था लेकिन मजाल है कि, रसूखदार दुकानदार के खिलाफ विभागीय अधिकारी कार्रवाई या नोटिस जारी कर जवाब मांगने की हिमाकत भी करें, भले ही शासन समाधान शिविर लगा रही हो लेकिन अधिकारियों के उदासीन रवैए जनता को उनका हक नहीं दिला सकते.. अब इस मामले में रसूख का डर अधिकारियों को सता रहा है या  मलाई में हिस्सेदारी खत्म ही जाने का डर, यह तो वो ही जानते होंगे.. लेकिन जिस तरह पूर्व कलेक्टर ने राशन के बदले पैसे देने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई का निर्देश खाद्य नियंत्रक को दिया था उसका पालन तो नहीं कर रहे है..
अप्रैल माह में विभाग ने भौतिक सत्यापन के नाम पर जमकर पसीना बहाया था लेकिन सत्यापन से ज्यादा मेहनत रिपोर्ट को छिपाकर कार्रवाई न करने में करने में की जा रही है.. खुलेआम भ्रष्टाचार करने वाले दुकानदारों को खुली छूट दे दी गई है, दरअसल बिरकोना में स्थित सहकारी सेवा समिति मर्या के अंतर्गत संचालित राशन दुकान के विक्रेता दिनेश यादव द्वारा मार्च माह में हितग्राहियो का फिंगर प्रिंट लेकर उसे राशन प्रदान नहीं किया था, इतना ही नहीं दुकानदार के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर प्रबंधक कौशिक द्वारा समर्थन भी किया जा रहा था, स्वतंत्र आवाज़ द्वारा खबर लगाएं जाने के बाद अधिकारियों ने दुकानदार से जानकारी ली तब साफ हुआ था कि, दुकानदार ने कई हितग्रहियों को मार्च में अंगूठा लेने के बाद राशन नहीं बांटा था, लेकिन मामले का खुलासा होने के बाद भी खाद्य निरीक्षक मंगेश कांत ने दुकानदार को भौतिक सत्यापन में साफ़सुथरा घोषित कर दिया, मामले में जब स्वंतत्र आवाज द्वारा लगातार खबर प्रकाशित की गई तो दुकानदार ने कार्रवाई के डर से सुबह 6 बजे हितग्राहियों के घर जाकर उनके पैर पकड़ लिए और उन्हें राशन प्रदान किया, अब देखने वाली बात है कि, अधिकारियों के संरक्षण में दुकानदार इस हद तक पहुंच गए है कि, जनता का अंगूठा लगवाकर उन्हें राशन तक नहीं देने की मनमर्जी चला रहे है ऐसे में अधिकारियों के भरोसे कैसे सुशासन के सपने को सरकार पूरा कर पायेगी..
शहर के दुकानदारों द्वारा खुले पीडीएस के चावल की अफरा तफरी का खेल किया जा रहा है,  दूसरी ओर ग्राहकों को 22 से 25 रुपए के बीच चावल को जबरिया खरीदने का खेल भी दुकानदारों द्वारा किया जा रहा है.. बिलासपुर के कई जगहों , गोंडपारा, जरहाभाठा, कुम्हारपारा, तालापारा, मिनिबस्ती, मगरपारा, के आस पास स्थित दुकानों द्वारा पीडीएस चावल का बाजारीकरण कर शासन की योजना पर पतीला लगाया जा रहा है लेकिन विभागीय अधिकारियों के संरक्षण का लंबा खेल दुकानों में चल रहा है..

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