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नीडोनॉमिक्स परिपक्वता को दर्शाता है और नीडो-उपभोग के अनुशासन के माध्यम से नीडो-गवर्नेंस की कुंजी है- प्रो. एम.एम. गोयल..
बिलासपुर– “नीडोनॉमिक्स, जरूरतों का अर्थशास्त्र, आध्यात्मिक परिपक्वता को दर्शाता है और नीडो -उपभोग के अनुशासन के माध्यम से नीडो-गवर्नेंस की कुंजी रखता है.. ये शब्द पूर्व कुलपति, नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मदन मोहन गोयल ने कहे.. उन्होंने आज शासकीय नवीन महाविद्यालय में विकसित भारत के लिए नीडोनॉमिक्स का महत्व विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पुष्प राज लाजरस ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. की गोयल उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया.. समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष और कार्यशाला संयोजक डॉ. हर्ष पांडे ने समारोह के संचालक की भूमिका निभाई और धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया..
प्रो. गोयल ने कहा कि, नीडोनॉमिक्स 2047 तक भारत को विकसित में बदलने के लिए एक आध्यात्मिक कम्पास के रूप में काम करने के लिए तैयार है..
उन्होंने सार्थक परिवर्तन के लिए नीडोनोमिक्स की सामूहिक चेतना को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, जो जिम्मेदारी की साझा भावना में निहित हो..
प्रो गोयल ने लालच की अनियंत्रित भूख के प्रति आगाह करते हुए कहा, निवेश के लिए एक आवश्यक मानसिकता विकसित करने के लिए, बैंकों में बचत और जमा को प्रोत्साहित करना अनिवार्य है..
उन्होंने व्यक्तियों की बचत प्रोफ़ाइल को बदलने के लिए नीडो-उपभोग को अपनाने की वकालत की और कहा कि, इसमें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की क्षमता है..
नीडोनॉमिक्स की परिवर्तनकारी शक्ति पर प्रकाश डालते हुए, प्रो. गोयल ने घोषणा की, नीडोनॉमिक्स सतत विकास के लिए आशा की किरण है, जो नीडो-खुशी के माध्यम से संतुष्टि को बढ़ावा देता है। यदि हम परोपकारी भावना के साथ नीडोनॉमिक्स को अपनाते हैं तो कल निस्संदेह बेहतर होगा..
प्रो. गोयल ने व्यापक जागरूकता और नीडोनॉमिक्स को अपनाने का आह्वान किया, एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जहां लोग लालच पर जरूरतों को प्राथमिकता देंगे, जिससे सामूहिक कल्याण और राष्ट्र की प्रगति में योगदान मिलेगा..