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न्यायधानी में संगठन से हटकर लोकप्रियता.. नौसिखिएं डूबा न दे पार्टी की लुटिया.. घर का भेदी _______ढाय..आ गईं बरसात, स्मार्ट सिटी बनेगा डबरा.. ट्रांसफर आदेश के बाद अभियान को लगा रहे पलीता..

न्यायधानी में संगठन से हटकर लोकप्रियता.. 
छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है ऐसे में सत्ता में बैठी कांग्रेस 75 प्लस का नारा देकर सत्ता वापसी के लिए बेकरार नजर आ रही है तो वहीं 15 साल छत्तीसगढ़ में सुशासन का पर्चा बुलंद करने वाली भाजपा सत्ता वापसी के लिए जय जुगाड़ की नीति अपना रही है, भले ही देर से लेकिन दुरुस्त आए मुहावरे को चरितार्थ कर भाजपा चुनाव से ऐन वक्त पहले नए लोगों को लगातार आगे बढ़ाते दिखाई दे रही है, कांग्रेस को डगर भले ही आसान लग रही हो, लेकिन हाल फिलहाल में घटी घटनाओं के बाद उनकी मुश्किलें थोड़ी बढ़ती जरूर नजर आ रही है, जिताऊ चेहरे को छांटना और फिर बाकियों की टिकट काटना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी से कम नहीं होगी.. यह सब हमने भूमिका बांधने के लिए आपको बता दिया, लेकिन सीधे मुद्दे की बात की जाए तो, बिलासपुर विधानसभा से विधायक शैलेश पांडेय अपने परफॉर्मेंस के बाद आश्वस्त दिखाई पड़ रहे हैं, वहीं चर्चाओं पर ध्यान दे तो, हंसी ठिठोली करते चाय की चुस्कियों के बीच ज्ञानियों के जमघट में यह बात आसानी से सुनने मिल जाती है कि, बिलासपुर से अगर शैलेश पांडे का टिकट फाइनल है तो कांग्रेस को  जीत के लिए आसानी होगी, अगर किसी और को टिकट दिया जाता है तो उसका बड़ा नुकसान भी कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.. अब बात यह कि यह चर्चा आम जनमानस में चल क्यों रही है, दरअसल पिछले 2018 विधानसभा चुनाव से अब तक के कार्यकाल का लेखा-जोखा उठाकर देखा जाए तो, जहां चुनाव के बाद सारे नेता अपने में मस्त हो गए थे, तब भी नगर विधायक शैलेष पांडेय आमजन के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे, चुनाव आते-आते लाख नजरंदाजी के बाद भी शहर में शैलेश पाण्डेय की लोकप्रियता बढ़ी है.. उनका अपना वर्चस्व पार्टी से हटकर बिलासपुर में नजर आ रहा है, हाल फिलहाल की घटनाओं में पार्टी के नामी-गिरामी चेहरों के बीच प्रतिद्वंदिता से पार्टी को नुकसान होता दिखाई दे रहा है, बावजूद इसके नगर विधायक शैलेश पांडे बिलासपुर के वोटरों के बीच अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने में लगातार सफल रहे हैं..
नौसिखिएं डूबा न दे पार्टी की लुटिया..
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हमेशा से ही भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर का राजनीतिक मैदान रहा है.. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से ही पिछले 23 सालों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आती है हालांकि पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव में  छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को एकतरफा जनाधिकार देकर रायपुर की गद्दी में बैठाया था, समय-समय पर अलग-अलग पार्टी अपने अपने सीमित वोट बैंक के लिए छत्तीसगढ़ की राजनीति में दखल देती रही है, लेकिन बदलते माहौल में वोट बैंक और कुछ सीटों पर दावेदारी करने के लिए छत्तीसगढ़ आने वाली पार्टियों धरातल से ज्यादा सोशल मीडिया वाले नेता उभरते नजर आ रहे हैं, ऐसे में वोट कटवा की भूमिका निभाने वाली इन पार्टियों के नौसिखिया नेताओं के बल पर अपना पुराना जलवा कायम रखेंगी या सिर्फ हमेशा की तरह सिर्फ एक चुनाव तक राजनीति जिंदा रखने वाले ये नेता पार्टी को डुबोकर फिर से गायब हो जाएंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.. बिलासपुर समेत आसपास के विधानसभा में हर पंच वर्षीय ढेरो ऐसे नौसिखिया नेता मैदान में उतरते हैं, लेकिन चुनाव होते ही रफूचक्कर हो जाते हैं ढिंढोरा पीट पीटकर चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा के रूप में खुद को बताने वाले ऐसे नेता अपनी पार्टी के साथ भी धोखेबाजी से पीछे नहीं हटते हैं.. राष्ट्रवादी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, निर्दलीय समेत कई ऐसे पार्टियों के नेता ठीक चुनाव के पहले जीत का गुब्बारा फुलाते नजर आते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम की सुई जैसे ही इनके गुब्बारे से टकराती है तो ऐसे नेताजी भी हवे की तरह यह भी गायब हो जाते हैं, 2003 में वोट कटवा की भूमिका निभाने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस भी नए नवेले नेताओं के साथ मैदान पर उतरी है लेकिन इसके नेता मैदान में कम और हवा में ज्यादा नजर आते हैं, धरातल पर हर वार्ड में कार्यकर्ता तक नहीं होने के बावजूद इसके नेता सिर्फ सोशल मीडिया में बाहुबली बनकर सत्ता बदलने और देश बदलने की बात करते हैं लेकिन जमीनी रूप से उन्होंने अभी तक अपने विधानसभा क्षेत्रों की गलियों तक नहीं पहुंचे हैं.. वही पार्टी में नहीं खिलाड़ी के प्रवेश के बाद पार्टी का माहौल बदलता नजर आ रहा है जोरदार तरीके से शोरगुल मचाने वाले प्रदेश प्रवक्ता निलेश बिश्वास चुनाव के ठीक पहले मिस्टर इंडिया के अनिल कपूर की तरह गायब हो गए हैं.. पार्टी नेताओं से अनबन और बिना जनाधार गुब्बारा फुलाना इनके लिए कितना फायदेमंद होगा और पार्टी के लिए कितना नुकसानदायक इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, उनके बैनर पोस्टर भी अब शहर से गायब हो चुके हैं.. पूर्व शहर उपाध्यक्ष राहुल नारवानी द्वारा इनके खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया गया था, इसके साथ ही पार्टी के मंचों से आपसी अनबन के कारण इनका नाम सुर्खियों में रहा है, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ में पुराने अनुभव को भूलकर नए-नवेले वीआईपी कल्चर से ग्रसित नेताओं के साथ सपने संजोकर चुनाव में उतर रही है, हालांकि यह बात अलग है कि, उनके 2018 विधानसभा चुनाव के अधिकतर उम्मीदवार पार्टी को जयराम कर गायब हो चुके हैं.. ऐसे में पार्टी किस तरह नेताओं पर विश्वास जताए उनके लिए माथा पच्ची का विषय है, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस से ज्यादा फूट तो इनके संगठन में नजर आती है.. सोशल मीडिया से सहारे कुछ लोग अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं वही एकला चलो की नीति खुलकर दिखाई देती है आप पार्टी में लगातार उठापटक की स्थिति बनी हुई है, कुछ महीने पहले बनें जिला अध्यक्ष और जिला सचिव को फिर से दरकिनार कर दिया गया है, वहीं पार्टी के ही कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ षडयंत्र रचने में लगे हुए हैं, एक दूसरे को फूटी आंख न सुहानेवाली नीति जमकर चर्चा का विषय बनी हुई है  , तो वही घर परिवार के साथ पार्टी में बने रहने और अपनी टीम बनाकर काम करने वाले लोग दूसरे धड़ को पटक कर आगे निकलने की फिराक में ज्यादा दिखाई देते हैं.. आम आदमी पार्टी के लिए मुद्दा भाजपा या कांग्रेस नहीं बल्कि खुद की पार्टी के लोग ज्यादा नजर आती है..
घर का भेदी _______ढाय..
जैसे-जैसे छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे राजनीतिक पार्टियों की सांसे भी ऊपर नीचे होती नजर आ रही है पिछले विधानसभा चुनाव को देखे तो बीजेपी को छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा था, जिसके बाद पार्टी उन गलतियों से सीख लेकर खुद को जीत के लिए तैयार कर रही है तो वहीं कांग्रेस छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल और उनकी योजनाओं को लेकर जनता के बीच पहुंच रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी होती नजर आ रही है वह है लगातार पदाधिकारियों के आपसी अनबन, लड़ाई झगड़े, धमकी भरे वीडियो वायरल होने का.. बिलासपुर में पिछले कुछ महीनों में जिस तरह युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों की लड़ाई तनातनी के वीडियो सामने आए हैं उनसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खासा नाराज बताया जा रहा है, क्योंकि भाजपा लगातार कांग्रेस को इसी मुद्दे पर घेरती भी नजर आ रही है, युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने हाल ही में कार्रवाई करते हुए 4 पदाधिकारियों को पद से निष्कासित किया था.. जिसके बाद अब शहर अध्यक्ष शेरू असलम का अभी धमकी देता वीडियो वायरल हो रहा है, ऐसे में  भूपेश बघेल की सरकार जहां खुद को किसान हितेषी सरकार बताकर अपने 75 प्लस के टारगेट पर निकली हुई है, उस पर खुद को जिला अध्यक्ष बताकर किसान को उठाकर ले जाने की धमकी का वीडियो किसानों को ठेस जरुर पहुंचाएगा.. एक ओर कांग्रेस के बड़े नेता सरकार की स्वच्छ छवि को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लगातार होते लड़ाई झगड़ा धमकी भरे वीडियो और आपसी मतभेद से पार्टी को जल्द पार पाना होगा, वरना चुनाव आते-आते कहीं जनहित  योजनाओं, काम के ऊपर आपसी लड़ाई झगड़े और धमकियां भारी ना पड़ जाए.. वहीं जानकारों की माने तो पार्टी और शीर्ष नेतृत्व बारीकी से नजर बनाए हुए हैं और आने वाले दिनों में वायरल हुए वीडियो पर पार्टी कड़ा निर्णय लेते हुए, किसानों तक सकारात्मक संदेश पहुंचाने के लिए कार्रवाई भी कर सकती है.. पिछले दिनों इसी तरह मॉल के सामने हुए मारपीट और जिला अध्यक्ष द्वारा थाने के सामने धरने को लेकर यूवा कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी की अनुशंसा पर प्रदेश अध्यक्ष ने चार पदाधिकारियों को पद से निष्कासित किया था जिसके बाद एक और वीडियो वायरल हुआ है इस पर भी कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है..
आ गईं बरसात, स्मार्ट सिटी बनेगा डबरा..
छत्तीसगढ़ में भले ही मॉनसून ने देर से दस्तक दी हो लेकिन छत्तीसगढ़ की न्यायधानी और दूसरे सबसे बडे़ शहर का नगर निगम आपको डबरा का सुख लेने का मजा बिल्कुल देगा, इसके लिए पिछले कुछ हफ्तों से नगर निगम द्वारा चौक चौराहों में तैयारी भी की जा रही है पुराना बस स्टैंड सत्यम चौक महामाया चौक समेत शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर नगर निगम ने डबरा बनाने की तैयारी पूरी कर ली है और इस मौसम बिलासपुर को खोदापुर की जगह हादसापुर बनाने की कवायद लगातार की जा रही है, शहर के होनहार नगर निगम आयुक्त अपने काम के प्रति इतने जिम्मेदार हैं कि, मीडिया की जवाबदेही यह जरूरी नहीं समझते हैं और पूरी तन्मयता से स्मार्ट सिटी को डबरा सीटी बनाने में लगे हुए हैं.. शहर को इन दिनों जलभराव की दिक्कत से निजात दिलाने के लिए नाली निर्माण का कार्य मुख्य चौक चौराहों पर कराया जा रहा है लेकिन 25 जून हो जाने के बाद तक नालियों का निर्माण पूरा नहीं हो सका है कई जगह तो बरसात के दौरान नाली निर्माण का कार्य जारी है ऐसे में शहर में मुख्य चौक चौराहों पर खुदे हुए गड्ढे और उन पर निकले हुए लोहे की छेड़े जलभराव के बाद कितनी खतरनाक हो सकती है यह बताने की आवश्यकता नहीं है बिलासपुर पहले भी इस स्थिति से दो चार हो चुका है.. लेकिन सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद भी सत्ता में बैठे लोगों द्वारा बिलासपुर को असमय निर्माण कार्य के चलते विकास को अधर में फंसा कर जनता को परेशान करने का कोई मौका छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं.. बीते कुछ दिनों से बिलासपुर में मौसम बदल रहा है और रोज बरसात देखने को मिल रही है ऐसे में जल्द से जल्द काम पुरा न हो पाने की स्थिति में पूरा मानसून गढ्ढे और नाली को पार करते निकल जाएगा.. कार बिलासपुर की स्मार्ट सिटी डबरा सिटी के रूप में विकास का इंतजार करती रहेगी..
ट्रांसफर आदेश के बाद अभियान को लगा रहे पलीता..
बिलासपुर शहर में अपराध कम करने और नशे से युवाओं को दूर करने के लिए पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह द्वारा निजात अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत नशे का व्यापार करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए नशे में घिरे लोगों को नशे के जाल से बाहर निकालने के लिए सकारात्मक पहल किया जा रहा है.. लेकिन पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय से जारी तबादला आदेश के बाद निजात अभियान पर पलीता लगता दिखाई दे रहा है.. आदेश के बाद से ही शहर के कई थाना क्षेत्रों में जुआ सट्टे का कारोबार हरकत में आ गया है, खुलेआम रेलवे क्षेत्र में सट्टा पट्टी लिखते चाय के ठेलो, रेलवे के खंडहर में लोग दिखाई दे रहे हैं.. ऐसे में ट्रांसफर लिस्ट जारी होने के बाद अचानक शहर और जिले के कई थाना क्षेत्रों में जुआ सट्टा का व्यापार फलता फूलता दिखाई दे रहा है, खासकर शहर के रेलवे क्षेत्र और तोरवा चौक के पास खुलकर सट्टा पट्टी लिखते लोग पुलिस अधीक्षक की मेहनत और अभिनव पहल पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, ऐसे में थानेदारों पर भी सवाल उठना लाजमी है कि, आखिर ट्रांसफर लिस्ट जारी होते ही उन्हें कौन सी आजादी मिल गई है कि, मलाई की चाह लंबे समय से शहर में बंद जुआ सट्टा फिर से शुरू कराने में तनिक भी परवाह नहीं कर रहे हैं.. लंबे समय से शहर की सड़कों पर भी पुलिस अधीक्षक, टीम के साथ नहीं निकले हैं शायद इसी का फायदा उठाकर कुछ जगहों पर मलाई की हिस्सेदारी के चलते धंधा पानी शुरू हो चुका है.. ट्रांसफर लिस्ट आने के बाद आजादी के साथ निजात पर पलीता लगाने वाले थानेदारों की क्लास कब लगेगी देखने वाली बात होगी, लेकिन पिछले कई महीनों से बिलासपुर एसपी द्वारा संचालित निजात अभियान का सकारात्मक असर बिलासपुर में देखने को मिला है.. इसके साथ साथ पुलिस द्वारा चौपाल लगाकर कानून व्यवस्था को मजबूत रखने की कोशिश भी जारी है पर कुछ जगहों पर लापरवाही खुलकर देखने को मिल रही है..

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