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छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विविधता के अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है- आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेई..
अटल बिहारी वाजपेई विश्व विद्यालय बिलासपुर में 12 वें स्थापना दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम 24 और 25 जुन को आयोजित हैं। इसमें प्रथम दिवस आज़ 24 जुन को प्रातः आठ बजे से ” वृहद स्तर पर वृक्षारोपण” का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस वृक्षारोपण कार्य में नीम, पीपल,बरगद, क़दम,बादाम,करज, आंवला, अमरूद, सीता फल,आम, जामून, कटहल, अनार के साथ बड़े पैमाने पर हर्बल औषधि गुण वाले पौधे लगाए गए। इस कार्यक्रम में विश्व विद्यालय के माननीय कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेई जी, कुलसचिव श्री शैलेन्द्र दुबे जी, उपकुलसचिव श्रीमती नेहा यादव, श्रीमती नेहा राठिया, सहायक कुलसचिव श्री रामेश्वर राठौर, परीक्षा नियंत्रक डॉ तरूण दिवान,्वित अधिकारी श्री अलेक्जेंडर कुजुर , राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ मनोज सिन्हा,, पीआरओ हर्ष पांडेय सहित विश्व विद्यालय के अधिकारी, प्राध्यापक, कर्मचारी गण की सहभागिता रही..
कार्यक्रम का दुसरा चरण बारह बजे प्रारंभ हुआ जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पदम श्री ऊषा बारले लोक मंच कलाकार छत्तीसगढ़ और अध्यक्षता माननीय कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेई जी ने किया। इस कार्यक्रम के संयोजक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा एच एस होता ज़ी थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ शुमोना भट्टाचार्य और डॉ रश्मि गुप्ता ने किया। सर्वप्रथम अतिथियों ने मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण और कुलगीत गायन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.. स्वागत भाषण देते हुए डॉ डॉ एच एस होता ने पदम श्री ऊषा बारले को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजदूत के रूप में संबोधित किया.. मुख्य अतिथि पद्म श्री ऊषा बारले ने अपने उद्बोधन में कहा कि, मुझे अच्छा लग रहा है कि अटल बिहारी वाजपेई विश्व विद्यालय ने मुझे इस अवसर पर आमंत्रित किया साथ ही उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संभालने के लिए नयी पीढ़ी को आगे आना चाहिए..
अध्यक्षता कर रहे माननीय कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेई जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत देश की पग पग पर विभिन्न भाषा, बोली, ख़ान पान में विविधता है परन्तु इन, सभी का कथानक एक है जैसे रामायण, महाभारत, ऐतिहासिक नायक यह सब हमें एकता के सुत्र में हम सभी को बांध के रखतीं हैं। पदम श्री ऊषा बारले छत्तीसगढ़ में एक सशक्त कला कार है। आभार प्रदर्शन कुलसचिव श्री शैलेन्द्र दुबे जी ने किया। तत्पश्चात पदम् श्री ऊषा बारले जी के द्वारा पंडवानी गायन प्रस्तुत किया गया। जरासंध वध के कथा को उन्होंने बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके बाद बिलासपुर की उभरती ग़ज़ल गायिका सुश्री श्रुति प्रभला के द्वारा ग़ज़ल प्रस्तुत की गई। सुश्री आई भाविका के द्वारा भरत नाट्यम प्रस्तुत की गई।श्री शिवम सिंह के द्वारा कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया गया। भजन गायन अटल विश्व विद्यालय के जनसूचना विभाग के नरेंद्र पटेल और उसकी मंडली मां मालती मानस मंडली के द्वारा प्रस्तुत की गई। शिव तांडव स्तोत्र आर्या अग्रवाल के द्वारा तथा राजस्थानी नृत्य अंजलि देवांगन ने प्रस्तुत किया। अर्ध परम्परा गत नृत्य डेजी और शिवांगी ने प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ नृत्य फ़ूड प्रोसेसिंग विभाग के विद्यार्थीयों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम के पूरे अवसर पर विश्व विद्यालय के कुलपति, आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेई, कुलसचिव श्री शैलेन्द्र दुबे, परीक्षा नियंत्रक डॉ तरूण दिवान उपकुलसचिव नेहा राठिया, नेहा यादव, सहायक कुलसचिव रामेश्वर राठौर वित्त अधिकारी अलेक्जेंडर कुजुर, रासेयो डॉ मनोज सिन्हा, डॉ शुमोना भट्टाचार्य, डॉ गौरव साहू, डॉ यशवंत पटेल, डॉ पूजा पांडेय, डॉ सीमा बेरोलकर, डॉ लतिका भाटिया, डॉ रेवा कुलश्रेष्ठ, डॉ हैरी जार्ज, डॉ हामिद अब्दुल्ला, डॉ सौमित्र तिवारी, डॉ धर्मेंद्र कश्यप, आकृति सिसोदिया, श्रीयक परिहार, मनीष सक्सेना, विकास शर्मा, भुवन वर्मा, शंकर यादव,नद किशोर शुक्ल, सहित विश्व विद्यालय के अधिकारी, प्राध्यापक, कर्मचारी और विद्यार्थी गण के अतिरिक्त विश्व विद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के प्राध्यापक,शहर के गणमान्य नागरिक और पत्रकार बंधु उपस्थित रहे..