स्वतंत्र अवाज विशेष
चर्चा गली गली:- गुलशन के साथ घर पर भी खुले मोहब्बत की दुकान.. बीते साल की तरह बिलासपुर के वर्तमान हालात .. मझधार में ऐसी पार्टी को खेवैये का इंतजार.. बिलासपुर में गांधी जी की प्रतिमा को चश्में का इन्तजार..
स्वतंत्र आवाज़ की खास पेशकश चर्चा गली-गली के एक और अंक में हम आपके लिए बिलासपुर शहर में घटित हाल फिलहाल की घटनाओं और जानकारियों को लेकर आएं है, पढ़िए खास पेशकश चर्चा गली गली..
बिलासपुर में बिगड़ते हालात..
बिलासपुर में वर्तमान कानून व्यवस्था ठीक उसी प्रकार से नजर आ रही है जिस प्रकार से समय के पहिए में 1 साल पीछे खड़ी थी.. हालिया की कुछ दिनों में लगातार होती घटनाओं गैंगवार और पुलिस थानों में होते प्रदर्शन को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिलासपुर पुलिस में अपराध और अपराधियों पर जो पकड़ पिछले कुछ समय में बनाई थी वह फिर से ढीली पड़ती दिखाई दे रही है इन दिनों बिलासपुर पुलिस को अगर किसी मुद्दे ने सबसे अधिक परेशान करके रखा है तो वह गैंगवार, लगातार आपसी रंजिश को लेकर गुटों में होती लड़ाई के पीछे राजनीतिक द्वेष भावना और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ साम्राज्य स्थापित करने की अंधी चाहत और पुलिस के कढ़ाई में ढीलेपन को उजागर कर प्रदेशभर में बिलासपुर को आपसी रंजिश का अखाड़ा बना रही है.. बिलासपुर पुलिस अधीक्षक ने जिस ईमानदारी के साथ में निजात अभियान की शुरुआत की उसका प्रतिफल भी शहर में देखने को मिला था लगातार कम होते अपराधिक घटनाओं नशे के व्यापार के बाद शहर शांत नजर आ रहा था लेकिन एक बार फिर से अपराधिक गतिविधियों के बढ़ने पर प्रश्न खड़ा होने लगा है कि, आख़िर क्यों इस तरह की स्थिति फिर से निर्मित हो रही है जो बिलासपुर में 1 वर्ष पहले नजर आ रही थी..
मझधार में फंसी पार्टी के खेवैए का इंतज़ार..
दिल्ली और पंजाब के बाद आम आदमी पार्टी तेजी के साथ छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में अपने पैर पसारने की कोशिश में लगी हुई है लेकिन पार्टी के पैर को खींचने में पार्टी के लोगों का जो योगदान नजर आ रहा है शायद वह विरोधी पार्टियों का भी न हो.. कहने के लिए तो आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दिया लेकिन शीर्ष नेतृत्व को जमीनी स्तर के लोकल नेताओ पर भरोसा नहीं है इसलिए तो कुछ महीने पहले ही लोगों को जिला अध्यक्ष और सचिव जैसे पदों पर बैठाकर पार्टी को बनाने और सजाने की जिम्मेदारी दी गई थी अचानक उन्हें हटा दिया गया है, अपने पैरों पर खड़े होने से पहले ही जमकर गुटबाजी और एकात्मवाद में फंसी आम आदमी पार्टी के नेता एक दूसरे की जड़ें मजबूत करने में कम खोदने में ज्यादा लगे हुए नजर आते हैं.. पोस्टर और धरातल पर दिखने वाले अलग-अलग लोग एक दूसरे के प्रति कितने समर्पित है यह आपसी चर्चा में उभरकर सामने आ जाता है.. पार्टी के कर्ता घर्ता के पहुंचने से पहले ही पार्टी में अलग लेवल की गुटबाजी और चालबाजी का दौर चल रहा है लेकिन शीर्ष धरातलीयों और पोस्टर और खुद को गाहे बगाहे घोषित करने वालो में किसे अधिक तवज्जो देता है यह देखने वाली बात होगी शायद इसके बाद ही पार्टी की दशा और दिशा की तय होती नजर आएगी.. फिलहाल विधानसभा चुनाव के चंद दिनों पहले ही संगठनात्मक रूप से बिखरी पार्टी कुछ के विरोध और कुछ के सपोर्ट के साथ क्या कमाल कर पाएगी यह देखने वाली बात होगी..
घर पर मोहब्बत की दूकान..
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक मोहब्बत की दुकान का फार्मूला लेकर चले थे, कुछ राज्यों में उनका यह फार्मूला काम आया तो कुछ राज्यों को समझ नहीं आया.. लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार काम के जरिए छत्तीसगढ़ वासियों का भरोसा जीतने में लगे हैं उससे राजनीतिक पंडित और पार्टी की शीर्ष नेतृत्व संतुष्ट नजर आ रही है.. इस बीच कांग्रेस अपनी स्थिति और संगठन को चुनाव के लिए तैयार रखने की कवायद में जुट चुकी है, संभागीय सम्मेलन के दौरान बिलासपुर पहुंचे बड़े नेताओं ने एक ऐसी बात बोली जो बिलासपुर के लिए बहुत अधिक मायने रखने के साथ साथ जरूरी भी है.. दरअसल मंच पर उद्बोधन के दौरान कहा गया कि.. मोहब्बत की दुकान सिर्फ विरोधियों के नहीं अपितु अपने घर के लिए भी है, इसका सीधा मतलब है कि जिस तरह की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बिलासपुर में चल रही है, उससे प्रदेश के सभी बड़े नेता वाकिफ हैं.. राजनीतिक खींचतान के बीच बिलासपुर संभाग में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जितनी मेहनत बड़े नेता कर रहे हैं इतनी ही धरातल पर नेताओं को भी करनी होगी, वरना राजनीतिक रूप से छत्तीसगढ़ की गर्दन (बिलासपुर में) झटके लगने के आसार भी बन सकते हैं..
बिन चश्मा महात्मा..
नगर निगम बिलासपुर इन दिनों स्मार्ट सिटी बनने की अंधी दौड़ में सरपट भागने और बेतरतीब विकास में उलझा हुआ नजर आ रहा है.. शहर के वास्तविकता, भागौलिकता को समझे बिना लगातार स्मार्ट सिटी के पैसे को बर्बाद कर बिलासपुर को प्रयोगशाला बना दिया गया है.. इधर सभी शहर में बिना यातायात के वैकल्पिक व्यवस्था किए चल रही अंधाधून खुदाई फिर से खुदापुर की याद ताजा कर रही है.. बिलासपुर शहर में अधूरे विकास के कार्यों, शहर आधे अधूरे आईलैंड को हटाने के बाद पूरी तरह यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है वहीं गांधी चौक पर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा को लेकर शायद बहुत ज्यादा सरोकार नगर निगम तो नहीं है.. तभी तो लंबे समय से गांधी जी की प्रतिमा से गायब चश्मा नगर निगम के धुंधले हो चुके चश्मे में नजर नहीं आ रहा है.. राजनीतिक पार्टियां भी और उनके नेता अपनी सुविधा के अनुसार गांधीजी के पास पहुंचते है आशीर्वाद लेते है, अपना काम कर निकल जाते है.. किसी को भी गांधीजी के चश्मे से सरकार नजर नहीं आता है लेकिन स्वच्छता को लेकर देश में जो अभियान चला उसमें गांधीजी के चश्मे को प्रतीकात्मक रूप में जरूर उपयोग किया गया, लेकिन बिलासपुर में गांधी जी की प्रतिमा से गायब चश्मा नज़र नहीं आ रहा है..
✍️ रविंद्र विश्वकर्मा ✍️
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