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बच्चे के इलाज के लिए परिवार गया था रायपुर तोड़ दिया मकान.. मकान तो तोड़ा लेकिन टैक्स कॉपी होने के बाद भी नहीं दिया आवास.. नगर निगम के जिम्मेदारों पर उठे गंभीर सवाल..

बिलासपुर– न्यायधानी के लिंगियाडीह-चिंगराजपारा क्षेत्र से एक बार फिर नगर निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आया है। अपोलो हॉस्पिटल के पास स्थित चिंगराजपारा ढाल इलाके में नगर निगम की तोड़फोड़ कार्रवाई के दौरान एक गरीब परिवार का पूरा मकान ढहा दिया गया, जबकि उस वक्त घर के माता-पिता अपने गंभीर रूप से बीमार बेटे का इलाज कराने रायपुर गए हुए थे। घटना के वक्त घर में केवल मासूम बच्चे मौजूद थे, जो निगम के बुलडोजर के सामने रोते-बिलखते रह गए, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी, परिजनों का कहना है कि पहले केवल एक कमरे को तोड़ने की बात कही गई थी, लेकिन पूरी झोपड़ी को जमींदोज कर दिया गया। बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता इलाज के लिए रायपुर गए हैं और भाई अस्पताल में भर्ती है। इसके बावजूद निगम ने संवेदनहीनता की सारी हदें पार करते हुए मकान गिरा दिया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें जो वैकल्पिक आवास दिया गया है, वह बेहद जर्जर है और वहां न तो पानी की व्यवस्था है, न ही अन्य मूलभूत सुविधाएं..
वहीं कई और लोग भी अमीरों पर रहम और गरीबों पर सितम के कहर का शिकार हुए है, वहीं एक महिला जो को उस जमीन पर टैस्क भी पटा रही थी उसके बाद उस इलाके का वोटर कार्ड भी है लेकिन सिर्फ आधार कार्ड नहीं होने के वजह से निगम के अधिकारियों ने उसका मकान दहा दिया, मकान तोड़ने के बाद बुजुर्ग महिला को आवास तक नहीं दिया गया, जिसके कारण वह भी बेघर होने को मजबूर है..
निगम की इस कार्यवाही से स्थानीय लोगों और बच्चों की आंखों में आंसू और दिलों में डर साफ नजर आ रहा है.. इस घटना के बाद से मेयर सहित जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि अब तक किसी ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली, गौरतलब है कि महुआ होटल हो या ज्वाली पुल नाका इसमें रसूखदारों को बचाने के लिए नेताओं ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था.. इतना ही बिलासपुर की मेयर ने तो व्यापारियों के सामने सिंधी समाज के अवैध निर्माण पर हो रही कार्यवाही के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए निगम के अधिकारियों की क्लास लगाकर जमकर खरी खोटी सुनाई थी..

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