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कोतवाली थाने में शो पीस बनकर रह गया संवेदना केंद्र.. न ताला खोला जाता है, न हो रही देखरेख..

बिलासपुर– पुलिस महकमे द्वारा पुलिस विभाग में पदस्थ महिला कर्मचारियों और थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला प्रार्थियों की सुविधाओं को देखते हुए बिलासपुर पुलिस ने साल 2018 में अभिनव पहल करते हुए संवेदना केंद्र की शुरुआत की गई थी, खूब व्यवस्थाओं के साथ शूरू की गई संवेदना केंद्र आज अभाव और रखरखाव नहीं होने की वजह से जर्जर होने लगी है, कई थानो में तो संवेदना केंद्रों में 24 घंटे ताला लटका मिलता है.. शहर के मध्य में स्थित कोतवाली थाना के पीछे बने संवेदना केंद्र की स्थित बद से बदतर हो चुकी है, यहां हमेशा ताला लटका हुआ रहता है इतना ही नहीं थाना प्रभारी तक यहां झुकना जरूरी नहीं समझते है, न उजागर न करने की शर्त पर एक स्टाफ ने बताया कि, संवेदना केंद्र पिछले कुछ सालों से महिलाओं के लिए खुलता ही नहीं, बल्कि इसे एक मालखाने के रूप में उपयोग किया जाता है, जहां कुछ ही लोगों को जाने के अनुमति दी गई है, थाना फरियाद लेकर कोतवाली पहुंचने वाली महिलाओं और महिला स्टॉफ के कामकाज और विश्राम के लिए बनाया गया संवेदना केंद्र पूरी तरह बंद कर दिया है,
बता दें कि 15 फरवरी 2018 को पहले संवेदना केंद्र का उद्घाटन तत्कालीन एसपी शेख आरिफ और आईजी दीपांशु काबरा द्वारा तोरवा थाना में किया गया था जिसके बाद लगातार शहर के सभी थानों में महिलाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए संवेदना केंद्रों का निर्माण कराया गया, जिसका जोरशोर से उद्घाटन भी किया गया, लेकिन अब थानों में बने संवेदना केंद्र रखरखाव के अभाव में अपना मूल और अस्तित्व खोते जा रहे है वहीं जिले के पुलिस अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया है.. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण कोतवाली थाने के पीछे बना संवेदना केंद्र है..

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