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श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर श्रावण महोत्सव का समापन..
बिलासपुर– सरकण्डा स्थित पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा किया जा रहा था। 22 जुलाई 2024 से आरंभ सावन सोमवार के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन हुआ, यह आयोजन 19 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चला, शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा था.. इस अवसर पर महारुद्राभिषेक एवं पूजन में सुपर्णा सिंह छाया सिंह सम्मिलित हुए, रूद्रयज्ञ के पूर्णाहुति के यजमान हर्षवर्धन अग्रवाल अधिवक्ता है.. सावन पूर्णिमा रक्षाबंधन के पावन पर्व पर शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक नमक चमक विधि द्वारा प्रातः 9:00 से 11:00 बजे तक किया जाएगा.. इस अवसर पर पं. मधुसूदन पाण्डेय,स्वामी योगानंद सरस्वती, केसरीनंदन पाण्डेय,पं. चिरंजीवी पाण्डेय,पं.भुवनेश शर्मा, पं.अभिषेक शर्मा, पं.संजय पाण्डेय,पं. अश्वनी दुबे,आदि सम्मिलित हो सेवा प्रदान किए..
6 जुलाई आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से लेकर आगामी 15 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक चलने वाले श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ मे 36 लाख आहुतियाँ अर्पित की जाएगी, श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ 133 दिन चलेगा,जिसमें 44 दिन पूर्ण हो चुके हैं और 44 दिन में 9 लाख 24 हजार आहुतियां दी जा चुकी है, प्रतिदिन पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:00 तक निरंतर चलता है एवं रात्रि 12:45 में श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जाता है..
इसी कड़ी में पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने कहा कि, शिव के नाम पर नशा अपराध है…. वर्तमान समय का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य यह है कि बहुत सारे लोगों द्वारा भगवान शिव के नाम पर भाँग, गांजा जैसे अनेक प्रकार का नशा किया जाता है और भोले बाबा का प्रसाद कहकर दूसरों को भी कराया जाता है, हां भगवान भोलेनाथ नशा करते थे पर भक्ति का नशा करते थे अपने प्रभु श्रीराम के नाम का नशा करते थे.. भक्ति से तप ज्ञान वैराग्य की प्राप्ति होती है, महादेव तो आशुतोष भोलेनाथ हैं इसलिए भांग के पत्ते,जिन्हें पशु तक भी नहीं खाते और धतूरे का वह फल, जिसे कोई पक्षी तक चोंच नहीं मारते उनको अर्पित करने वाले का भी कल्याण कर देते हैं.. भगवान भोलेनाथ के प्रसाद के नाम से प्रचलित इस नशा की कुप्रथा का सभी शिव भक्तों द्वारा पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।नशा करने वाले का कभी भी कल्याण संभव ही नहीं,अब वह भले ही भोले बाबा अथवा देवी माँ के प्रसाद के नाम से ही क्यों न किया जाए, यदि तनिक भी कल्याण की चिंता हो तो शिव के नाम पर नशा नहीं अपितु शिव के नाम का नशा करो।भक्ति का नशा करो, नशे की भक्ति कदापि नहीं।वर्तमान में भगवान भोलेनाथ के नाम पर अधिक मात्रा में व्यसन नशा किया जाता है अरे भगवान शिव ने तो हलाहल विष धारण किया था तो क्या यह व्यसनी समुदाय विष पीएगा नहीं ना, तो समाज से इस व्यसन एवं व्यसनी आचरण को दूर किया जाए..